भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन समाज और देश के लिए अपूरणीय क्षति है. राजनीति के पितामह, सर्वप्रिय, जननेता और महान राजनीतिक विचारक भारत रत्न से सम्मानित स्वर्गीय प्रणव मुखर्जी राजनेताओं के साथ साथ युवाओं के आदर्श थे. संसदीय राजनीति का स्तंभ आज गिर गया. ये बातें बाबूधाम ट्रस्ट के मुखिया अजय प्रकाश पाठक ने कही.

उन्होंने कहा कि तीन पीढ़ियों के भारतीय राजनीति को देखने वाले और तीनों से लोकतांत्रिक तरमयता बना के चलने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्हें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की भारतीय राजनीति की परख और सामाजिक अनुभव था.

कांग्रेस के नेता होने के बावजूद सभी दलों में लोकप्रिय और आदरणीय मुखर्जी भारतीय संविधान के ज्ञाता के साथ साथ उसके विवेचक भी थे. 2012-17 तक देश के राष्ट्रपति रहे मुखर्जी पांच दशकों तक राजनीति में सक्रिय थे और सरकार के कई पोर्टफोलियो में मंत्री भी थे.

अजय प्रकाश पाठक ने कहा कि स्वंत्रता सेनानी के बेटे प्रणव दा विदेश और रक्षा मंत्री रहते भारत का मान बढ़ाया. कई मौकों पर सदन के अंदर व बाहर वो सरकार और विपक्ष के मार्गदर्शक रहे. हालांकि लाखों लोगों की दुवाओं और प्रार्थनाओं के वावजूद उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और वो 84 के उम्र में उनकी जीवन लीला अस्पताल में समाप्त हो गई.

बाबूधाम ट्रस्ट के मुखिया ने कहा कि देश के अंदर लोकतांत्रिक तरीके से बहस हो या सरकार में किसी विषय पर जोरदार बहस हो सबमें मुखर्जी जी निपुण थे. कई मौकों पर उन्होंने कांग्रेस सरकार को भावधारा से संकट मोचक बनके निकाला है. स्कूल शिक्षा में आधुनिकता हो या विचारों की अभिव्यक्ति हो या विदेश नीति को सारगर्भित करना हो प्रणव दा हमेशा अपना काम बखूबी किया.

अजय प्रकाश पाठक ने कहा कि आज उनके निधन पर उन्हें भारी मन से सादर प्रणाम करता हूं और उनको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

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