समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी को लगातार मिल रही हार से निजात दिलाने के लिए अब अपने कोर वोट बैंक को एकजुट करने में जुट गए हैं. अखिलेश को आभास हो गया है कि अगर अभी से तैयारी शुरू नहीं कि तो 2022 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

21 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इस उपचुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है. अखिलेश यादव ने अपने कोर वोटर माने जाने वाले यादव वोटों को एकजुट करने के लिए कमर कस ली है. वो अभी से इस अभियान में जुट गए हैं.

इसके लिए वो खुलकर योगी सरकार के खिलाफ उतर आए हैं. इसी अभियान के तहत वो यादवों से जुड़ी घटनाओं पर सरकार को घेरने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दे रहे हैं. झांसी में हुए पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर की जानकारी होने के बाद अखिलेश सीधा एस परिवार से मिलने झांसी पहुंच गए.

इसके अलावा भी वो रोजाना ट्विटर के जरिए सरकार को घेर रहे हैं. इसी के साथ साथ उन्होंने रूठे यादव नेताओं को भी मनाना शुरू कर दिया है. अखिलेश की इसी मेहनत का नतीजा है कि आजमगढ़ के पूर्व सांसद हाल में सपा में शामिल हो गए हैं.

वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यादवों में एकता रहेगी तो एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण का रंग भी गाढ़ा हो सकेगा. सपा संरक्षक मुलायम का निष्क्रिय होना और शिवपाल का दूसरी पार्टी बना लेना भी काफी हानिकारक रहा है. इसीलिए अखिलेश अब इसे साधने में लगे हैं. वह एम-वाई कॉम्बिनेशन को भी दुरुस्त करने में जुट गए हैं.

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