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समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है तबसे किसानों की दुर्दशा बढ़ती जा रही है.

अखिलेश ने कहा कि किसानों के प्रति जबानी जमा खर्च की हमदर्दी दिखाते हुए बातें तो बड़ी-बड़ी की जाती हैं लेकिन हकीकत में भाजपा किसानों की जगह पूंजी घरानों की किस्मत संवारने में लग जाती है. गन्ना किसान, धान किसान और आलू उत्पादक सब परेशान हैं.

खेती किसानी अब उनके लिए घाटे का सौदा हो रही है. कृषि क्षेत्र में लगातार इसीलिए कमी होती जा रही है. किसानों का खेती से मोहभंग की स्थिति पैदा हो गयी है. यह स्थिति गंभीर परिणामों की चेतावनी देती है.

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक गन्ना का समर्थन मूल्य नहीं घोषित किया है. 2019-20 का पेराई सत्र चालू हो गया है. खाद, पानी, बिजली, कीटनाशक सभी मदों की कीमतें बहुत बढ़ गई है. पिछली फसलों में हुए नुकसान के चलते किसान कर्ज में डूबा हुआ है. चीनी मिल मालिक गन्ना किसानों के साथ बेरूखी से पेश आ रहे हैं. किसान की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं.

भाजपा सरकार ने समर्थन मूल्य तो छोड़िए उनका पुराना बकाया भी नहीं दिया है. गतवर्ष का लगभग पांच हजार करोड़ रूपये गन्ना किसानों का बकाया है. भाजपा सरकार चीनी मिल मालिकों के प्रभाव में है. गन्ना बकाया का भुगतान करने वाली चीनी मिलों को इसलिए छूट मिली हुई है. वे किसानों की रकम पर कुंडली मारकर बैठी है.

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अखिलेश ने कहा कि धान खरीद में भी भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति उजागर होती है. धान के क्रय केन्द्र अभी तक नहीं खुले हैं. धान की लूट शुरू हो गई है. दलाल और आढ़तिए किसानों को औने-पौने दाम में अपनी फसल बेचने को मजबूर कर रहे हैं. यही हाल आलू किसानों का है.

भाजपा सरकार इन किसानों की बर्बादी की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है. सरकारों को छल-कपट की राजनीति नहीं करनी चाहिए. वादा खिलाफी भी भ्रष्टाचार ही है, इसमें भाजपा महारत हासिल कर चुकी है. जनता सब समझती है और वक्त आने पर सही सबक भी सिखा देती है.

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