आज संविधान दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जोरदार तरीके से निशाना साधते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर सबसे ज्यादा आघात भाजपा सरकार में हुआ है. हालत ये हो गई है कि असहमति को देशद्रोह बताया जाने लगा.

अखिलेश यादव ने कहा कि आज के ही दिन 26 नवम्बर 1949 को ‘सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य‘ का संविधान अंगीकृत और आत्मार्पित किया गया था.

भारत के इस संविधान की उद्देशिका में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने और व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्रीय अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने का दृढ़संकल्प भी घोषित किया गया था.

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने तब यह चेतावनी दी थी कि संविधान के प्रयोग में नीति और नीयत की भी अहम भूमिका होगी. ऐसे में यह आवश्यक है कि लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में सत्ता के शीर्ष में बैठे लोगों की लोकतंत्र में अटूट निष्ठा होनी चाहिए. लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, यह बात भुलाई नहीं जा सकती.

अखिलेश यादव ने कहा कि ये कैसी विडम्बना है कि आजादी के 73 वर्षों बाद भी संविधान के मूल उद्देश्यों के विपरीत आर्थिक-सामाजिक गैरबराबरी बढ़ती जा रही है. कुछ चंद घरानों में देश की पूंजी बंधक बन गई है.

गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है. अन्नदाता किसान बदहाल है, नौजवान के सामने भविष्य का अंधेरा है, और जनसामान्य मंहगाई, भ्रष्टाचार और अपराधों की बढ़त से व्याकुल है, महिलाओं और बेटियों की इज्जत खतरे में है.

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