समाजवादी पार्टी की निगाहें बहुजन समाज पार्टी के वोटबैंक पर टिकीं हैं. बसपा के बागी नेताओं को सपा में स्थान और सम्मान दिया जा रहा है. साथ ही दलितों को भी अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी लगातार प्रयास कर रही है. गठबंधन टू’टने के बाद से सपा का प्रयास बसपा के जनाधार को अपनी ओर खींचने का रहा है.
यही वजह है कि समाजवादी पार्टी पहली बार बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस व्यापक रूप से मनाएगी. बाबा साहेब की याद में 6 दिसंबर को जिलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे.
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिलों में 6 दिसंबर को भारत के संविधान निर्माता व दलितों के मसीहा डॉ. आम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस अनिवार्य रूप से मनाया जाए. इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही समाज निर्माण में उनकी भूमिका और आदर्शों पर चर्चा की जाए.
समाजवादी पार्टी के अधिकृत होर्डिंग्स में भी बदलाव नजर आ रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ बाबा साहेब चित्र सभी होर्डिंग्स व अन्य प्रचार माध्यमों पर लगाने के लिए कहा गया है. बसपा से सपा में आए नेताओं का कहना है कि भले ही गठबंधन टू’ट गया हो लेकिन दलितों में सपा के प्रति आ’क्रोश कम हुआ है.