गधा जानवर बड़े काम का, जीवन जीता पर गुलाम का, धोबी के डंडों से डरता, सबसे ज्यादा मेहनत करता, फिर भी कहते लोग गधा है, सीधेपन की यही सजा है. गधों के जीवन को लेकर किसी ने ये बहुत ही अच्छी कविता लिखी थी.

गधों को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें ये खुलासा हुआ है कि देश में गधों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी जा रही है. पशुगणना रिपोर्ट के मुताबिक गधों की संख्या में 61 फीसदी तक की कमी आई है. गधे के अलावा घोड़े, सुअर और ऊंट की संख्या भी घटी है. इसके विपरीत गौवंश, भैंस, मुर्गी, बकरी, भेंड़ जैसे जानवरों की तादाद 2012 की तुलना में बढ़ी है.

बता दें कि यह पशुगणना देश के 6 लाख से ज्यादा गांवों में की गई थी. साथ ही इसे 89 हजार शहरों में भी किया गया था. इसके बाद पशुगणना रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 53.5 करोड़ पशुधन है.

देश में गौवंश 19.2 करोड़, गाय की संख्या 14.5 करोड़, बैल या सांड 4.7 करोड़, भैंस 10.9 करोड़, बकरी 14.8 करोड़, भेड़ 7.4 करोड़, सूअर 90 लाख, घोड़े 3.4 करोड़, ऊंट 2.5 लाख, मुर्गे मुर्गियां 85 करोड़, खच्चर 84 हज़ार, और गधे 1.2 लाख है. गधों के अलावा सांड की संख्या भी पहले के मुकाबले घटी है. पहले ये 6.7 करोड़ थी लेकिन अब इनकी संख्या 4.3 करोड़ हो गई है.

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