समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की चुनावी रणनीति समझ से परे है. सपा रणनीतिकारों की ही कमी है जिसका खामियाजा आज पार्टी को उठाना पड़ रहा है. सपा को चुनाव दर चुनाव हार का सामना करना पड़ रहा है. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हर चुनाव में पार्टी लगातार पीछे जा रही है. हालांकि यूपी विधानसभा उपचुनाव में तीन सीट जीतने के बाद सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ा हुआ है.

लाख कोशिशों के बाद भी सपा को उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा था.

सपा कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि इस बार अखिलेश ऐसी रणनीति बनाएंगे जिससे ज्यादा से ज्यादा सीटों पर पार्टी का परचम लहराए. सपा कार्यकर्ताओं को पहला झटका तब लगा जब अखिलेश ने चुनाव प्रचार में न उतरने का फैसला सुनाया. इस बार अखिलेश के मैदान में न उतरने के बाद भी सपा तीन सीटें जीतने में कामयाब रही.

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दूसरी और सबसे बड़ी रणनीतिक चूक ये मानी जा रही है कि पार्टी ने रामपुर से आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा को टिकट दे दिया. अखिलेश के इस कदम को रणनीतिक चूक इसलिए कहा जा रहा है कि तजीन फातिमा राज्यसभा की सदस्य हैं. अब उनके चुनाव जीतने के बाद उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा.

ऐसे में राज्यसभा से सपा की एक सीट कम हो जाएगी. सपा के पास विधानसभा में इतनी सीटें भी नहीं हैं जिससे वो राज्यसभा में खाली हुई सीट पर अपना प्रत्याशी जिता सके.

सपा को राज्यसभा की एक सीट गवानी पड़ जाएगी. अगर पार्टी उनके अलावा किसी और को प्रत्याशी बनाती तो इस नुकसान से बचा जा सकता था.

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