उन्नाव के गांधी कहे जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व विधायक भगवती सिंह विशारद का आज 99 साल की उम्र में निधन हो गया. विशारद लगभग 13 साल की उम्र में गांधी जी के संपर्क में आए और देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ गए. बताया जाता है कि विशारद गांधी जी से बेहद प्रभावित थे.
जब वो गांधी जी संपर्क में आए तो गांधी जी उनसे पूछा क्या बनना चाहते हो तो उन्होंने कहा मैं गांधी बनना चाहता हूं. शायद यही वजह है कि उनके क्षेत्र के लोग उन्हें आज का गांधी कहते थे. वो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे और आजादी के बाद सात बार विधायक चुने गए.
भगवंतनगर विधानसभा सीट से उन्होंने 1967, 1969, 1974, 1980, 1985, 1991 में विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. सादगी और ईमानदारी की मिसाल कहे जाने वाले विशारद ने सात बार विधायक रहने के बावजूद अपने लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने जनता की सेवा को ही अपना काम माना और यही किया.
उनकी सादगी और ईमानदारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने साल जनप्रतिनिधि रहने के बावजूद उनका अपना खुद का मकान नहीं था. वो कानपुर के घंटाघर के पास धनकुट्टी इलाके में रहते थे. उनके निधन की खबर सुनकर लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े.
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. कांग्रेस नेता सुभाष सिंह ने कहा कि उनका निधन जनपद के लिए अपूरणीय क्षति है. वो स्वस्थ राजनीति के मार्गदर्शक थे. उनके बताए आदर्शों पर चलने का अवसर नसीब हो तो सच्चे मायने में वह लोकतांत्रिक होगा.
उन्नाव की पूर्व सांसद अन्नू टंडन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे परिवार का मुखिया चला गया. उनके जाने से जो क्षति हुई है अब उसकी पूर्ती नहीं की जा सकती. आज उन्नाव जिले का बहुत बड़ा अध्यास समाप्त हो गया.