उत्तर प्रदेश की सियासत में काफी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. क्षेत्रफल और सियासत अहमियत के एतबार से देश के सबसे बड़े सूबे पर राजनैतिक दलों की निगाहें लगी ही रहती हैं. कहा ये भी जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है.

भाजपा, कांग्रेस के अलावा यहां के दो बड़े दल सपा और बसपा भी यहां की सियासत में अहम किरदार अदा करते हैं. 2017 विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो बीते कई दशकों से यहां सपा और बसपा का ही कब्जा रहा है.

सपा और बसपा एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते थे मगर अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ा कारनामा अंजाम देते हुए दोनों दलों का आपस में गठबंधन करवा दिया. मगर ये गठबंधन ज्यादा दिन नहीं टिक सका. चुनाव परिणाम आने के बाद मायावती ने अखिलेश यादव से अपन रास्ता जुदा कर लिया.

बीते कुछ दिनों से एक चीज देखने को मिल रही है कि एक के बाद एक बसपा के कई बड़े नेता सपा में शामिल होते जा रहे हैं. नेताओं के इस कदम से जहां मायावती परेशान हैं तो वहीं अखिलेश यादव खुश हैं. इसी क्रम में आज बसपा का एक और बड़ा नेता सपा में शामिल हो गया.

बहराइच से दो बार के विधायक और मंडल प्रभारी केके ओझा ने आज गोमतीनगर के लोहिया पार्क में अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. अखिलेश ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि ओझा के आने के बाद बहराइच में समाजवादी पार्टी को मजबूती मिलेगी.

कृष्ण कुमार ओझा 2007 में फखरपुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. इसके बाद 2012 में महसी विधानसभा सीट से वो दोबारा विधायक बने. हालांकि साल 2017 में वो जीत दर्ज नहीं कर सके. केके ओझा को बसपा में एक बड़े नेता के तौर पर जाना जाता था. वो मायावती के करीबियों में शुमार किए जाते थे.

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