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यूपी की हमीरपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव का परिणाम शुक्रवार 27 सितंबर को आया, इस चुनावी परिणाम ने कहीं न कहीं बसपा सुप्रीमों मायावती को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं सपा से गठबंधन तोड़ना गलती तो नहीं थी, कहा कुछ भी जाए लेकिन इस चुनावी परिणाम ने बसपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के युवराज सिंह ने बाजी मारी, वहीं सपा के मनोज प्रजापति दूसरे स्थान पर रहें.

वहीं बसपा प्रत्याशी नौशाद अली तीसरे स्थान पर रहें. चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद मायावती ने एक बार फिर से हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया, लेकिन चुनावी परिणाम बसपा के लिए भविष्य में चिंता का सबब बन सकता है. वहीं सपा के प्रत्याशी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह इस टक्कर को जीत में तब्दील नहीं कर सकें.

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वहीं लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो ये गठबंधन भले ही भाजपा के प्रत्याशियों को हरा नहीं पाया हो, लेकिन यह गठबंधन मायावती को नुकसान को सौदा भी नहीं साबित हुआ. इस चुनाव में मायावती शू्न्य से दस के आंकड़े पर पहुंच गई. इसके बाद भी मायावती ने सपा के कोर वोटरों पर आरोप लगाते हुए गठबंधन से किनारा कर लिया.

राजनीति के जानकारों की मानें तो इस चुनाव में सपा और बसपा साथ में मिलकर चुनाव लड़े होते तो इसका परिणाम कुछ और ही होता. हालांकि उस चुनाव में सपा ने भले ही जीत दर्ज न की हो लेकिन परिणाम संतोषजनक साबित रहे हैं. इस चुनाव में जहां एक ओर भाजपा की मत प्रतिशत में 5 प्रतिशत की कमी हुई है, वहीं सपा के मतप्रतिशत में इतना ही इजाफा हुआ है.

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