चीन में कोरोना को लेकर स्थिति बेहद ख़राब है. कोविड-19 के ओमीक्रान वैरिएंट का सब वैरिएंट बीएफ.7 तबाही मचा रहा है. सड़कों से ज्यादा अस्पतालों में भीड़ दिख रही है. चीन सरकार की तरफ से जो आंकड़े दिखाए जा रहे हैं, वो अधिक नहीं हैं. लेकिन आंतरिक मामलों पर पर्दा डालने वाला चीन अस्पतालों की हालत नहीं छिपा पा रहा है. कोरोना के इस तरह के मामले चीन पहले भी देख चुका है और एक बार फिर से गलती दोहरा रहा है.

कोरोना की शुरुआत से अब तक चीन की सरकार ने देश में कोरोना फैलने की सीमित जानकारी ही दी है. वहां मीडिया ने भी सरकार के आंकड़ों को ही पेश किया. जहां दुनिया ने बढ़ चढ़कर वैक्सीन का इस्तेमाल किया और एक दूसरे देशों ने आपस में आयत-निर्यात कर मदद की, वहीं चीन इस मामले में शांत रहा.

चीन में फिर से जारी कोरोना के कहर को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन कुछ प्राकृतिक नियमों के खिलाफ जाकर खड़ा हो गया. जैसे कि जीरो कोविड पालिसी. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस अंत में तभी थमेगा जब एक हद तक आबादी उससे संक्रमित हो गयी हो. लेकिन चीन जीरो कोविड पालिसी पर अड़ा रहा.

साल 2022 की शुरुआत में जब अधिकतर देश नियमों में ढिलाई दे रहे थे और जिदंगी को सामान्य करने की कोशिश कर रहे थे. उस समय चीन ने जीरो कोविड पालिसी लागू कर दी. दरअसल, कोरोना के मामले में ज्यादातर देशों ने यह मान लिया है कि अब उन्हें इस वायरस के साथ जीना सीखना होगा. लेकिन चीन इस बात को नहीं मान रहा है.

चीन में बीएफ.7 वैरिएंट चीन में तबाही मचा रहा है. इस वैरिएंट को भारत में पहली बार जुलाई में ही पहचान लिया गया था. इसके बावजूद भारत में इसने कहर नहीं बरपाया. जिसका कारण है भारत में करोड़ों की आबादी का टीकाकरण और लोगों की हाइब्रिड इम्युनिटी जो चीन के लोगों में कम है.

दरअसल, जब-जब चीन में कोरोना फैला, तभी लोगों पर सख्त नियम लागू कर दिए गए. जिस वजह से लोगों में नेचुरल इन्फेक्शन कम रहा. वहां लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं हो पायी. जिन देशों में अधिकतर आबादी की हाइब्रिड इम्युनिटी है, वहां कोरोना का कोई भी वैरिएंट कम असरदार है. ऐसे में चीन में अगर व्यापक स्तर पर कोरोना फैला है तो यह दुनिया को भी अपनी चपेट में ले सकता है.

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