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बिहार की राजनीति में हलचल कम होने का नाम नहीं ले रही है. लोक जनशक्ति पार्टी में पावर और पद के लिए चाचा और भतीजे के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है. लोजपा की कहानी कमोबेश वैसी ही है जैसे 2017 चुनाव के समय समाजवादी पार्टी की थी.

चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस पार्टी पर काबिज हो गए हैं. उन्होंने चिराग पासवान को पार्टी के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया है. उधर चिराग अध्यक्ष पद लगातार अपना दावा कर रहे हैं और उन्होंने पांचों बागी सांसदों को पार्टी से बाहर करने का एलान कर दिया.

लोजपा में मची खींचातानी पर चिराग पासवान ने आज पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. उन्होंने कहा कि पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए.

चिराग पासवान ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद करता हूं. इसके साथ उन्होंने कुछ पुराने पत्र भी साझा किए. चिराग पासवान पार्टी और पावर बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं. दिल्ली स्थित उनके आवास पर बैठकों का दौर लगातार चल रहा है.

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