हिंदुस्तान में कई सालों तक मुगल बादशाहों का राज रहा है लेकिन इस दौरान कई ऐसे बादशाह भी रहे हैं जिनकी ना हूकूमत याद की जाती है बल्कि उनके द्वारा बनाए गए नियमों को याद किया जाता है जैसे मुगल साम्राज्य का बेगमों के लिए कई सार रुल बनाए गए थे. वैसे तो मुगल साम्राज्य के द्वारा कई तरह के रुल बनाए गए थे जिनके बारे में विस्तार कर पाना मुश्किल सा होगा.

लेकिन कहा जाता है कि हिंदुस्तान पर मुगलों का शासन लगभग साल 1526 से 1707 तक रहा है जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी इसके बाद कई बहादुर बादशाहों ने मुगल साम्राज्य का शासन बढ़ाने का काम किया था, जैसे हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब प्रमुख बादशाहों में गिने जाते हैं.

आज इस पोस्ट में हम आपको मुगल शहजादियों की शादी से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे, क्योंकि कहा जाता है कि मुगल बादशाह अपनी बेटियों की शादी नहीं करते थे, लेकिन क्या वाकई में ऐसा होता था, इसलिए आज हम आपको मुगल रानियों की शादी और इससे जुड़े कई तरह के रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

कई लोगों को लगता था कि मुगल राजकुमारी ( बेटियों, पोती, परपोती) आदि के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि अकबर था, गौरतलब है कि ये भी अफवाह है क्योंकि अकबरनामा, जहांगीरनामा, शाहजहांनामा या औरंगजेब के शाही दरबार के इतिहास में कभी भी अकबर या मुगल राजकुमारी के विवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले किसी सम्राट का उल्लेख नहीं मिलता है.

कहा जाता है कि मुगल बादशाह अपने करीबी रिश्तेदारों के साथ ही शादी करते थे, हलांकि इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है. लेकिन कहा जाता है कि बादशाह सत्ता किसी अपने को ही देना चाहते थे इसलिए वो अपने रिश्तेदार में ही अपनी बेटियों का शादी होती थी.

अकबर की बात की जाए तो उसने खुद रुकैया और सलीमा से अपनी चचेरी बहन से शादी की, पहले किसी बाहरी राजकुमारी से नहीं की थी, अकबर की सभी बेटियों की शादी अराम बानो बेगम को छोड़कर रिश्तेदारों में हुई थी. जहांगीर ने खुद अपनी पहली तीन शादियां उनकी राजपूत चचेरी बहन मनवती, जोध बाई आदि से हुई थी.

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