क्रिकेट की दुनिया में जो थोड़ी सी भी दिलचस्पी रखते होंगे तो भारतीय महिला क्रिकेटर शेफाली वर्मा को जरुर जानते होंगे. शेफाली वर्मा जो कि देश की लाखों लड़कियों के लिए एक मिसाल हैं. जो किसी भी क्षेत्र में अपने भविष्य को संवारना चाहती हैं उनके लिए शेफाली वर्मा एक उदाहरण के रुप में नजर आ रही हैं.
हरियाणा में जन्मी शेफाली ने छोटी से ही उम्र में ही दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर बनने के लिए काफी संघर्ष किया है. समाज की छोटी सोच हो या रिश्तेदारों की दबाव शेफाली ने बगैर किसी की परवाह किए बगैर अपने पिता की मगदद से क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाई.
आज शेफाली वर्मा जैसी लड़कियों को देखकर क्रिकेट की दुनिया में उनको देखकर और भी लड़कियां आगे बढ़ रही हैं. ये आगे चलकर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं इसके लिए छोटी सी ही उम्र में जब बच्चों को समझ नहीं होती है उस छोटी सी ही ये बच्ची नेट प्रक्टिस कर रही हैं. ये बच्ची हाथरस की रहने वाली है जिसकी उम्र महज 10 साल है और वो कक्षा पांच में पढ़ती है.
इस बच्ची का नाम रिमझिम है. रिमझिम पिता और अपने कोच के दिशानिर्देश में नेट प्रैक्टिस कर रही है. रिमझिम ते पिता पवन शर्मा कहते हैं कि बच्ची को शुरुआत से ही क्रिकेट खेलने में रुचि थी और उसकी रुचि को ध्यान में रखते हुए उसके सपने को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. और बच्ची को देश के लिए खेलते हुए देखना चाहते हैं. रिमझिम जो कि महज 6 साल से ही अभ्यास कर रही है.
कोच संजीव चौधरी कालका जो कि हरियाणा सले ताल्लुक रखते हैं उनके दिशानिर्देशन में रिमझिम अभ्यास कर रही है रिमझिम का सपना है कि वो देश के लिए आगे चलकर खेलेगी और अपने सपने को साकार करने के लिए दिन रात अभ्यास और प्रयास कर रही है.
रिमझिम के पिता पवन को क्रिकेट में रुचि थी लेकिन परिस्थितियों की वजह से क्रिकेट में भविष्य नहीं संवार सकें. पापा की ही तरह बचपन से ही रिमझिम को क्रिकेट खेलने की रुचि थी. बेटी के क्रिकेट के प्रति इस जूनून को देखते हुए पिता ने घर में ही क्रिकेट की ट्रेनिंग शुरु कर दी.