
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज उत्तर प्रदेश के बनारस जिले के दौरे पर हैं. वो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. बीएचयू भारत अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन अमित शाह ने दीप जलाकर किया.
इस मौके पर उन्होंने वीर सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति भी इतिहास न बनती, उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से देखते, वीर सावरकर ने ही 1857 को पहला स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया. आज देश स्वतंत्र है.
हमारे इतिहास का संशोधन करके संदर्भ ग्रन्थ बनाकर इतिहास का पुन: लेखन करके लिखें. मुझे भरोसा है कि अपने लिख इतिहास में सत्य का तत्व है इसलिए वो जरूर प्रसिद्ध होगा.

अमित शाह ने कहा कि स्कंदगुप्त का बहुत बड़ा योगदान दुर्ग की रचना, नगर की रचना और राजस्व के नियमों को संशोधित करके शासन व्यवस्था को आगे बढ़ाने में है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज स्कंदगुप्त पर अध्ययन के लिए कोई 100 पेज भी मांगेगा, तो वो उपलब्ध नहीं हैं.
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में बहुत प्रसिद्धि मिली है. लेकिन उनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय भी हुआ है. उनके पराक्रम की जितनी प्रसंशा होनी थी, उतनी शायद नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि महाभारत काल के 2,000 साल बाद 800 साल का कालखंड दो प्रमुख शासन व्यवस्थाओं के कारण जाना गया. मौर्य वंश और गुप्त वंश. दोनों वंशों ने भारतीय संस्कृति को तब के विश्व के अंदर सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित किया.
जिस तकक्षिला विश्वविद्यालय ने कई विद्वान, वैद्, खगोलशात्र और अन्य विद्वान दिए, उस तकक्षिला विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया गया था.
श्री अमित शाह का काशी विश्वविद्यालय की द्वीदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी – गुप्तवंशक-वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के शुभारंभ के अवसर पर संबोधन। https://t.co/I11IW4fmR8
— BJP (@BJP4India) October 17, 2019