अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ की कार्यकारिणी समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये मांग की गई कि वो मंडल आयोग को लागू कर जातिगत जनगणना करवाएं.

इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने अपने संबोधन में कहा कि आरक्षण का मुद्दा इसलिए नहीं है कि यह एक आर्थिक उत्थान का साधन है बल्कि यह मौजूदा सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन और आबादी के अनुसार सभी क्षेत्रों में हिस्सेदारी का मामला है जिससे पिछड़े- अतिपिछड़े वर्गों को वंचित रखने का प्रयास देश के प्रगति, एकता संविधान व लोकतंत्र के लिए भारी खतरा है.

एनडीए 1 की केंद्रीय सरकार द्वारा 2021 की जनगणना में पिछड़े- अगड़े व अन्य सभी धर्मों के जातियों की गणना कराने के आदेश के बाद भी जातिगत जनगणना ना होना घोर चिंता का विषय है.

उन्होंने आगे कहा – ‘संघ ने विगत 14 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ओबीसी के 27% अनुपातिक आरक्षण को बढ़ाकर आबादी के अनुसार 52% आरक्षण देने हेतु संविधान के अनुच्छेद 15(4) व 16(4) में संशोधन करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने एवं कानून बनाने संबंधित 8 सूत्री प्रस्ताव को भेजकर उनसे शीघ्र नीतिगत फैसले लेने का आग्रह करते हुए कहा गया था जिस प्रकार आपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर आबादी के अनुसार 10% आरक्षण अगड़ी जातियों को देने के वक्त लिया था वैसे ही मंडल आयोग को पूर्णत लागू करने के संदर्भ में लिया जाए. अब तक इस संदर्भ में कुछ नहीं किया जाना- अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कदम है.

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