हर किसी की जिंदगी एक समान नहीं होती. किसी को बचपन से ही ऐशो आराम मिलती है तो किसी का जीवन तंगी में रहता है. कई लोग संघर्ष को ही जिन्दगी मानते हैं. कुछ लोग संघर्ष इस कदर करते हैं कि दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. ऐसी ही कहानी है पंजाब के मोहाली में रहने वाली पूनम की.

कई बार लोग छोटे कामों को शर्मिन्दिगी की वजह से करने से मना कर देते हैं. लेकिन कहते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. जो इस बात को अपना लेते हैं वह आगे बढ़ जाते हैं. ऐसा ही कर दिखाया पूनम ने. पूनम ने अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए गोलगप्पे का ठेला लगाना शुरू कर दिया.

पूनम मोहाली में गोलगप्पे की रेहड़ी लगाती. गोलगप्पे के साथ वह आलू टिक्की, दही भल्ले, चाट व अन्य कई चीजें बेचती. अपने कार्ट का नाम उन्होंने रखा The Dreams Bites.

पूनम बताती हैं कि वह डेंटल में काम करती थीं. उनकी दोस्त ने ही उन्हें वहां जॉब दिलाई थी. लेकिन पढ़ाई के लिए समय न निकल पाने की वजह से जॉब छोड़ दी. जिसके बाद पूनम ने मोहाली में ही गोलगप्पे और चाट की रेहड़ी लगा दी, ताकि वो काम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पूरी कर सके और पढ़ाई का खर्च खुद उठा सकें.

पूनम ने इससे पहले ये काम कभी नहीं किया था. ऐसे में जब उन्होंने अपनी इस रेहड़ी की शुरुआत की तब उनके लिए चाट बनाना इतना आसान नहीं था. वह कहती हैं जब मैंने पहली बार टिक्की बनाई, तो पूरी टिक्की तेल में फ़ैल गयी थी, बेचारे ग्राहक खड़े हुए थे, जिन्होंने कहा कि आप टिक्की की जगह कुछ और बना दीजिये.

धीरे-धीरे जब अनुभव आया तो पूनम की रेहड़ी पर ग्राहकों की भीड़ लगने लगी. पूनम के हाथ की बनाई चाट को लोग चटकारे लेकर खाते. पूनम की ये कहानी एक प्रेरणा (inspiration) है जो लोग अपने काम को लेकर शर्मिन्दिगी महसूस करते हैं.

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