पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम ने कहा था कि सपना वो नहीं जो हम सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने तो वो होते हैं जो हमें चैन से सोने न दें. कुछ ऐसा ही सपना देखा था राजस्थान के बीकानेर में रहने वाले प्रेमसुख देलू ने. उनका सपना था आईपीएस बनना, इसके लिए उन्होंने दिनरात मेहनत की और अंत में आईपीएस की परीक्षा पास कर अपने सपने को पूरा किया.

प्रेमसुख देलू ने 10वीं के बाद से ही पढ़ाई में पूरा मन लगा दिया, उन्होंने इतिहास से एमए की पढ़ाई पूरी की. प्रेमसुख की 6 साल में बारह बार सरकारी नौकरी लगी मगर उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कहीं पर भी रूकना मुनासिब नहीं समझा. साल 2010 में उन्हें पटवारी की पहली नौकरी मिली.

इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद उन्होंने ग्राम सेवक की परीक्षा पास की, फिर राजस्थान पुलिस में एसआई और असिस्टेंट जेलर की परीक्षा में टॉप किया. इसके बाद बीएड और नेट की परीक्षा पास की और कॉलेज में लेक्चरर बन गए. उसके बाद भी उनका मन नहीं माना और उन्होंने लोक सेवा आयोग के लिए पढ़ाई जारी रखी.

राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तहसीलदार के पद पर भी उनका चयन हुआ मगर साल 2015 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और 170वीं रैंक हासिल कर साल 2016 में आईपीएस बन गए.

प्रेमसुख का आईपीएस बनना उन लोगों के लिए भी करारा जवाब है जो कहते हैं कि हिंदी माध्यम से पढ़ने वाला इंसान अंग्रेजी माध्यम वाले से पीछे रह जाता है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया. उनके इस संघर्ष में उनके भाई ने भी उनका बहुत साथ दिया.

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