देश की सर्वोच्य अदालत की ओर से सबसे पुराने और चर्चित अयोध्या विवाद पर आज अंतिम फैसला आ ही गया. इस दिन का इंतेजार करोड़ों देशवासी लंबे समय से कर रहे थे. शनिवार को सर्वोच्य न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी पांच जजों की पीठ ने अयोध्या मामले पर फैसला देते हुए से साफ कर दिया कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को दी जाएगी और ट्रस्ट बनाकर इसपर मंदिर का निर्माण होगा.
मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन अलग दी जाएगी जहां पर वो मस्जिद बना सकें. शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए मुस्लिम पक्षकार स्वर्गीय हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी ने कहा है कि हम सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं.
हमने पहले भी कहा था कि अदालत का फैसला मानेंगे. आज भी कह रहे हैं कि हम इसे मानते हैं. अब देखना है कि सरकार हमें मस्जिद निर्माण के लिए कहां जगह मिलती है. फिलहाल अदालत के इस निर्णय से एक बहुत बड़ा मसला हल हो गया है.
हालांकि अदालत ने ये भी साफ कर दिया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिलता है जिससे ये बात साबित हो पाए कि मं’दिर को तोड़कर वहां पर मस्जि’द बनाई गई थी. अदालत ने ये भी कहा कि चूंकि वहां पर 1949 तक नमाज़ पढ़ी जाती रही लिहाजा सुन्नी वक्फ बोर्ड को अलग जगह पर 05 एकड़ जमीन अलग दी जाए जहां पर वो मस्जि’द का निर्माण करा सकें.