IMAGE CREDIT-SOCIAL MEDIA

अक्सर कहा जाता है कि आईएएस टापर एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां से उनके परिवार या घर का कोई सदस्य प्रशासनिक कार्य में हो या उसका परिवार आर्थिक रुप से सक्षम हो. लेकिन कई बारगी देखने को मिलता है कि ऐसे भी युवा है जो अपने काबिलियत के दम पर इस ओहदे को पा लेते थे.

ऐसे कई युवा है जो ऐसे परिवार से आते हैं जो आर्थिक रुप से कमजोर होते हैं और घर में भी कोई सदस्य प्रशासनिक सेवा में नहीं होते है इसके बावजूद भी सफलता की सीढ़ियों तक पहुंचने के लिए वो जी जान से कोशिश करते हैं, इस बार कई बार निराशा हाथ में लगती है लेकिन जी जान लगाकर अपने मंजिल को हासिल कर लेते हैं.

आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने जूते की दुकान पर काम किया, यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की लेकिन कभी हार नहीं मानी और कोशिश करते रहें एक कहावत भी है कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ऐसा ही कुछ हुआ और और उन्होंने साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में आलओवर 6 वीं रैंक हासिल की.

गौरतलब है कि शुभम गुप्ता जो कि जयपुर के निवासी हैं उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में ही की, शुभम के पिता जी की जूतों की दुकान थी. इस दुकान पर भी शुभम बैठते थे. इस दौरान पिता जी के काम से महाराष्ट्र में उन्हें घर लेना पड़ा, वहां पर किसी भी स्कूल में दाखिला लेने के लिए मराठी आना अनिवार्य था.

मराठी भाषा का ज्ञान ना होने की वजह से शुभम और उनकी बहन का दाखिला घर से 80 किलोमीटर दूर ऐसे स्कूल में करवाया गया जहां से उनको हिंदी में शिक्षा मिल सके. शुभम स्कूल से आने के बाद पिता जी की दुकान में भी हाथ बंटाते थे.

घर की आर्थिक स्थिति में सुधार लेने के लिए शुभम के पिता ने एक और दुकान खोली वो दुकान से अधिक दूरी पर था दोनों दुकानों को एक साथ संभालना बेहद कठिन कार्य था इसलिए शुभम स्कूल से आने के बाद एक दुकान को खुद संभालता था.

अर्थशास्त्र से स्नातक तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरु की और चौथे प्रयास में सफलता के उन कदमों को चूमा जो वो चाहते थे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here