हिंदू पंचांग में पूणिमा तिथि से तारीख बदलती है. 19 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा थी, जिसके बाद 21 अक्टूबर से कार्तिक मास शुरू हो गया है. कार्तिक मास का समापन 19 नवंबर को होगा. पुराणों में कार्तिक मास की विशेष महत्व वर्णित है. शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक के समान कोई मास नहीं है, न सतयुग के समान कोई युग और वेद के समान कोई शास्त्र और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है.

कार्तिक मास को मंगलकारी और श्रेष्ठ्कारी माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास मास में कुछ नियमों का पालन करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है.

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अति उत्तम माना जाता है. कहते हैं कि इस महीने किसी पवित्र नदी या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

तुलसी पूजन 

तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार जिन घरों में प्रतिदिन माता तुलसी की पूजा की जाती है. वहां लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है. कार्तिक मास में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सर्वप्रथम तुलसी की पुकार सुनते हैं. शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी पूजन शुभ बताया गया है.

दीपदान

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक दीपदान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक मास तक दीपदान का विधान बताया गया है. मान्यता है कि इस माह में हर दिन किसी पवित्र नदी या घर पर तुलसी में ही दीपदान करना चाहिए.

दान

कार्तिक मास में कुछ चीजों के दान को महादान माना जाता है. इस मास में अन्न दान और गौदान का विशेष महत्व है. गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए.

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