माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण को लखनऊ प्रशासन और लखनऊ डेवेलपमेंट ऑथोरिटी ने गुरुवार सुबह गिरा दिया. इस प्रॉपर्टी पर 68 साल बाद कार्रवाई हुई है. यह जमीन निष्क्रांत है. साल 1992 में ही कागजों में हेरफेर कर इस जमीन का निष्क्रांत वाला ब्यौरा खतौनी से हटा दिया गया.
जब शासन से इन निर्माणों के बारे में पूछा गया तो एक अवैध कब्जे का मामला सामने आया. प्रशासन के मुताबिक यह जमीन मोहम्मद वसीम की थी, जो वर्ष 1952 में देश छोड़कर पाकिस्तान जा बसे.
इसके बाद वकील टीएस कालरा ने अभिलेखों में हेरफेर कर दी. कालरा ने दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर निष्क्रांत संपत्ति वाला हिस्सा ही गायब कर दिया. वहीं नियम है कि निष्क्रांत संपत्ति का भू उपयोग परिवर्तन कभी बदला नहीं जा सकता है. जिसके चलते निष्क्रांत संपत्ति वाले हिस्से को ही हटा दिया गया. जांच में इस बड़े हेरफेर का खुलासा हुआ है.
टीएस कालरा ने न सिर्फ मुख्तार परिवार बल्कि कुछ अन्य परिवारों को भी मोहम्मद वसीम की संपत्ति बेंची. अब सभी पर धारा 33/39 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल साल 1947 के बाद जो लोग 1954 तक देश छोड़कर चले गए उनकी संपत्ति को निष्क्रांत घोषित किया गया. जिले के कलेक्टर इसके कस्टोडियन होते हैं. स्वामित्व राजस्व परिषद के पास है. यह संपत्ति उन्हें दी जा सकती थी जो बंटवारे के समय पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे.