समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज जन्मदिन है. भारत की राजनीति में उनका एक बड़ा कद है. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वह देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. वह आज अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं.
करीब 6 दशक की सक्रिय सियासी पारी में मुलायम सिंह कई उतार-चढ़ाव से गुजरे. मगर सियासत में उनका कद नहीं डगमगाया. 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्में मुलायम सिंह को उनके पिता सुघर सिंह पहलवान बनाना चाहते थे. मुलायम को अखाड़े में उतरना भी पड़ा लेकिन किस्मत उन्हें सियासी अखाड़े की ओर ले आई.
सन 1954 में समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने नाहर रेट आंदोलन शुरू किया. जिसके साथ कई युवा जुड़े. इसमें 15 साल के मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे. राम मनोहर लोहिया के अलावा मुलायम सिंह अन्य समाजवादी नेताओं से मिलें. यही से उनका सियासी सफ़र शुरू हो गया.
कीं दो शादियां
मुलायम सिंह पांच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे और अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव रामगोपाल सिंह यादव व कमला देवी से बड़े हैं. माता का नाम मूर्ती देवी है. उन्होंने पहली शादी मालती देवी से की थी. जिनका मई 2003 में देहांत हो गया. अखिलेश यादव मालती देवी के बेटे हैं. बाद में मुलायम सिंह ने साधना यादव से दूसरी शादी की. जिनसे उनके दूसरे बेटे प्रतीक यादव हैं.
राजनीतिक सफ़र
इटावा की जसवंतनगर सीट से 1967 में चुनाव जीत कर पहली बार मुलायम सिंह विधानसभा पहुंचे. तब उनकी उम्र 28 साल थी. इसके बाद वह 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधानसभा चुनाव जीतते रहे. 1977 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने.
आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए. जिसके बाद 1989 में उनके जीवन में अहम पड़ाव आया. जब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इससे पहले 1985-87 तक वह जनता दल के अध्यक्ष भी रहे. 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला था.
1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. अगली साल 1993 में वह फिर उत्तर प्रदेश के सीएम बन गए. 1996 में वह पहली बार सांसद बने. इसी वर्ष कांग्रेस को हराकर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई थी. इसी सरकार में मुलायम सिंह ने रक्षामंत्री का भार संभाला. हालांकि यह सरकार करीब तीन साल ही चली. 1998-99 में मुलायम सिंह फिर सांसद चुने गए.
2003 में मुलायम फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 2007 में सपा को बसपा से बुरी हार मिली. जिसके बाद मुलायम 2009 और 2014 में लोकसभा पहुंचे. साल 2012 में सपा सत्ता में लौटी तब उन्होंने अपने बेटे अखिलेश सिंह को मुख्यमंत्री बनाया. इस बीच परिवार में विरासत को लेकर संघर्ष शुरू हो गया.
साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से बैठक बुलाकर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और मुलायम सिंह को सपा संरक्षक बना दिया. तब से वह पार्टी में सपा संरक्षक हैं.