वैसे तो इस बदलते दौर में लडका हो या लड़की दोनों को एक ही श्रेणी में ऱखा जाना लगा है. लेकिन आज भी भारतीय समाज में ऐसे लोग हैं. जहां पर लड़कियों के लिए सपने देखना और उन्हें पूरा करना आसान नहीं माना जाता है. एक उम्र हो जाने के बाद लड़कियों को लेकर घरवालों और परिवार वालों को शादी की फिक्र होने लगती है.
इस दौरान कई घरों में ये तक कह दिया जाता है कि पढ़ाई लिखाई बहुत हो गई, अब जल्दी शादी कर लो और अपना घर बसा लो. आज भी लड़कियों को अपने सपने पूरे करने के लिए घर वालों को विश्वास दिलाना पड़ता है. जिसके बाद वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात एक करना पड़ता है.
इसके साथ ही पारिवारिक परिस्थितियों को भी देखना पड़ता है. इतना सब कुछ होते हुए निधि सिवाच 2018 की यूपीएससी परीक्षा में आलओवर में 83 वीं रैंक पाई. आज उनकी कामयाबी पर पिता को गर्व है. लेकिन एक समय उन्होंने ये भी कह दिया था कि अगर वो परीक्षा के किसी भी चरण में फेल हुई तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी. निधि ने इस दौरान परीक्षा की तैयारियों को शुरु किया, इस समय उनके ऊपर पारिवारिक दबाव भी था.
निधि ने साल 2015 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नातक किया. इसके बाद उन्होंने टेक महिंद्रा में एक डिजाइन इंजीनियर के रुप में दो साल काम किया.
नौकरी करते समय ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी को शुरु किया और दो बार परीक्षा भी दी लेकिन प्रारंभित परीक्षा को भी नहीं क्लियर कर पाई. वो इस दौरान नौकरी कर रही थी लेकिन सपनों को पूरा करने की रट थी. इस दौरान उन्होंने दो बार परीक्षा दी और दोनों बार असफल हो गई.
हालांकि दो बार परीक्षा देने के साथ ही उनको कोर्स से संबंधित सभी जानकारियां हो गई थी. इसके बाद उन्होंने पिता को नौकरी छोड़ने और सिर्फ परीक्षा की तैयारी करने के लिए पिता को मनाया. लेकिन पिता को लगता था कि बेटी ने पढड़ाई पूरी कर ली है और नौकरी भी पा गई है ऐसे में उसे अब शादी कर लेनी चाहिए.
लेकिन जब निधि ने नौकरी छोड़ पिता के सामने परीक्षा की तैयारी करने की बात की तो वो बेटी के भविष्य के बार में सोचने लगे, लेकिन उन्होंने इस दौरान एक शर्त रख दी थी कि अगर वो परीक्षा के किसी चरण में फेल होती है तो उन्हें शादी करनी होगी. निधि ने पिता की इस शर्त को मानकर पूरी मेहनत के साथ तैयारी शुरु की. उन्होंने इस दौरान कोचिंग का सहारा भी नहीं ले लिया. और वो 83 वीें रैंक लाई. आज पूरे परिवार को बेटी पर गर्व है.