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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताते हुए कहा कि कांग्रेस, एनसीपी सहित सभी सरकारों ने कृषि सुधारों की वकालत की, मैं हैरान हूं कि अचानक सबने यूटर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता.

पीएम मोदी ने कहा कि यहां लोकतंत्र को लेकर काफी उपदेश दिए गए हैं. मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई हैं देश का कोई भी नागरिक उन पर भरोसा करेगा. भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं, ऐसी गलती हम न करें.

हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है. ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है.

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर देखा होगा फुटपाथ पर छोटी झोपड़ी लगाकर बैठी एक बुढ़ी मां अपनी झोपड़ी के बाहर दीया जलाकर भारत के शुभ के लिए कामना कर रही है. हम उसका मजाक उड़ा रहे हैं, उस भावना का मखौल उड़ा रहे हैं. विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह जी ने किसान को उपज बेचने की आज़ादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाज़ार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं. आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो लोग उछल-उछल कर राजनीतिक बयानबाज़ी करते हैं, उनके राज्य में जब उनको मौका उन्होंने इसमें से आधा-अधूरा कुछ न कुछ किया है. पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है.

10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया. अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता. अब तक 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये किसान के खाते में भेजे गये हैं.

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