लक्ष्य कोई भी हो अगर समर्पण पूरा हो तो मंजिल मिल ही जाती है. इसे एक बार नहीं बल्कि कई बार साबित कर दिखाया है सीकर की होनहार बेटी प्रमिला नेहरा ने. सीकर जिले के गांव सिहोट की प्रमिला न पांच साल की अवधि में एक दो नहीं बल्कि नौ सरकारी नौकरी हासिल की और युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हैं.

राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित स्कूली व्याख्याता भर्ती परीक्षा में राज्य में नवीं रैंक हासिल की. इससे पहले पटवारी, ग्रामसेवक, महिला पर्यवेक्षक, पुलिस कांस्टेबल, एलडीसी की परीक्षा में सफलता हासिल की थी.

घर में विपरीत परिस्थितियों का सामना कर प्रमिला ने सफलता हासिल की है. खास बात यह है कि प्रमिला ने ये सभी परीक्षाएं शादी के बाद मेहनत कर पास कीं. इस सफलता में परिवार का साथ भी मिला. प्रमिला के पति राजेंद्र रणवां दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं. राजेन्द्र ने हर कदम पर साथ दिया.

किसान पिता रामकुमार नेहरा व मां मनकोरी देवी नेहरा ने मार्गदर्शन देकर सफलता की राह आसान की. अब प्रमिला की नजर राज्य प्रशासनिक सेवा में अव्वल रैंक पर है. उन्होंने आईएस प्री क्लीयर कर लिया है.

प्रमिला ने साल 2015 में तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा में राज्यभर में 28वीं रैंक हासिल की. जिसके बाद 2017 में आरपीएससी की सेकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्यभर में 22वीं रैंक पायी. 2018 में आरपीएससी की स्कूली व्याख्याता परीक्षा में सफलता पायी.

राज्य में नौवी रैंक हासिल हुई. इसके साथ ही राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा, पटवार भर्ती परीक्षा, ग्राम सेवक भर्ती परीक्षा, एसएससी जीडी, राजस्थान उच्च न्यायालय लिपिक भर्ती व आरपीएससी लिपिक भर्ती, महिला व बाल विकास विभाग की महिला पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा व सी टैट में भी सफलता हासिक की है.

प्रमिला बताती हैं कि उनकी ढाणी गांव से तीन किलोमीटर दूर है. ढाणी से गांव तक आने का कोई साधन नहीं है. पैदल ही तीन किलोमीटर मजबूरी में आना पड़ता लेकिन हिम्मत नहीं हारी. पैदल चलकर बस से सीकर आती और तैयारी में जुटी रही. जब सफलता मिली तो सब बेहद खुश हुए.

अब प्रमिला नेहरा का सपना राज्य प्रशासनिक सेवा में जाने का है. प्री एग्जाम निकाल लिया और अब मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटी हैं.

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