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अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था को खत्म कर दिया है. वहीं दूसरी ओर इन सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था चलती रहेगी. इन दोनों ही संस्थानों में छात्रों को निशुल्क प्रवेश मिलता रहेगा.

शुल्क भरपाई योजना में तमाम तरह की सामने आई गड़बड़ियों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने ये फैसला लिया है. इस संबंध में शनिवार को शासनादेश जारी कर दिया गया है. इस नियम को लागू करने के बाद लगभग 2-3 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे.

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विगत वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें तमाम शिक्षण संस्थानों ने शुल्क भरपाई की राशि को हडपने के लिए अपने यहां एससी-एसटी के फर्जी छात्र दिखा दिए. वहीं कहीं कहीं तो कई पाठ्यक्रमों में तो शत-प्रतिशत सीटें एससी-एसटी छात्रों से भरी दिखा दी गई. देखा जाए तो ये व्यवहारिक रुप से संभव नहीं था.

इस तरह के कई मामले प्रकाश में आने के बाद कराई गई जांच के बाद गड़बड़ियां सामने आई, जिसके बाद इस तरह की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला लिया गया, अब छात्रों को पहले फीस भरकर एडमिशन लेना होगा, शुल्क प्रतिपूर्ति के रुप में बाद में सरकार उन पैसों को वापस उन्हीं के खातों में भेज देगी.

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