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12 दिसंबर को देहरादून में इंडियन मिलिट्री अकादमी की पास आउट परेड के बाद देश की सेना को तमाम नए अधिकारी मिल गए. इसमें से तमाम ऐसे भी हैं जिन्होंने काफी गरीब परिवार से आकर अपना और अपने माता पिता का सपना पूरा किया. ऐसा ही एक नाम है सोनूकांत उपाध्याय का.

सोनूकांत मूलरूप से बिहार के सीवान जिले के रहने वाले हैं मगर फिलहाल उनका परिवार चंडीगढ़ के दड़वा में रह रहा है. सोनूकांत के पिता चंडीगढ़ में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. सोनूकांत तीन भाई हैं.

वो दड़वा में किराए के एक कमरे में 17 साल तक रहे. उनके बड़े भाई एक बिल्डर के पास काम करते हैं और बीच वाले भाई का सीमेंट सरिया का काम है. अब उनका 150 गज का खुद का मकान है.

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सोनूकांत का बचपन काफी गरीबी में बीता था. उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और सेना में जाने की ठान ली. जैसे ही उनके सिलेक्शन की खबर उनके माता पिता को लगी उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. माता पिता के अलावा उनके गांव के लोग भी काफी खुश हैं.

सोनू को सेना में आफीसर का पद मिला है. सोनूकांत ने बताया कि जम्मू के राजौरी पहली पोस्टिंग मिली है. वहां वो इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजिनियरिंग विभाग में बतौर सैन्य अफसर ज्वाइन करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे माता पिता ने बहुत संघर्ष किया था. अब मेरी बारी थी कि उनकी बची हुई जिंदगी को खुशियों से भर दूं.

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