IMAGE CREDIT-SOCIAL MEDIA

सांसारिक मोहमाया को छोडकर वैराग धारण करना क्या होता है?  इस बात को कोई यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके परिवार से पूछे, गोरखनाथ जैसे मंदिर के महंत और गोरखपुर के पांच बार सांसद और अब सीएम बनने के बावजूद उनक परिवार अभी भी उसी हालत में है जैसा कि पहले था.

योगी आदित्यनाथ सन्यासी बनने के लिए एक बार घर से बाहर क्या निकले इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज के परिवेश में देखा जाए तो अगर कोई सांसद या विधायक की कुर्सी पा जाता है तो वह अपने परिवार, मित्रों को मालामाल कर देते हैं.

लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने असली त्याग और ईमानदारी की मिसाल पेश की है. उनकी तीन बहनों में से सबसे छोटी बहन ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर ऊपर जंगलों में झोपड़ीनुमा दुकान पर रोजगार कर रही है, वह नीलकंठ मंदिर से ऊपर पार्वती मंदिर के पास प्रसाद, फूल माला और बिस्कुट बेचकर अपने परिवार का पेट पाल रही है, वैसे तो सीएम योगी आदित्यनाथ की दो बहने ठीक-ठाक घरों में है शशि को ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

बहन ने शेयर की ये बातें, बताई योगी बनने की कहानी

बहन का मानना है कि आज से 30 साल पहले जब योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड़ के पंचूर गांव में रहते थे तो पूरा परिवार हर त्यौहार को एक साथ मनाता था, योगी की बहन शशि का मानना है कि वो अपने चारो भाईयों को रक्षाबंधन के दिन जब रक्षासूत्र बांधती थी तो उस समय योगी आदित्यनाथ ये कहते थे कि फिलहाल मैं इस समय कुछ कमा नहीं रहा हूं लेकिन जब भी मैं कमाऊंगा तो तुम्हें खूब सारे उपहार दूंगा.

कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ रक्षाबंधन के त्यौहार मे अपने पिता से पैसा मांगकर बहनों को दिया करते थे, पिता के चले जाने के बाद दिए गए पैसों को वापस भी मांगा करते थे. आज के सीएम योगी आदित्यना 30 साल पहले अजय बिष्ट के तौर पर जाने जाते थे, ये वही समय था जब वह घर को छोड़कर गोरखपुर पहुंचे थे, बहन का मानना है कि इसके बाद वो कभी भी योगी से नहीं मिली उनके हाथों में राखी ना बांध पाने का उसको मलाल रहता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here