महाराष्ट्र की सियासत में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बता दिया कि असली चाणक्य वही है. शह-मात के खेल में वह विजयी हुए हैं. एनसीपी को तो’ड़ सरकार बनाने की बीजेपी की कोशिश शरद पवार ने धराशायी करदी और हारी हुई बाजी को जीत लिया.

बीजेपी ने एनसीपी के अजित पवार को अपने साथ लेकर सरकार तो बना ली लेकिन यह सुनिश्चित करना जरुरी नहीं समझा कि उनके साथ कितने विधायक खड़े हैं. अजित के साथ 10-12 विधायक थे लेकिन बाद में वे भी नहीं रहे.

यानि एनसीपी के कुल 54 विधायकों में से 53 विधायकों को एनसीपी प्रमुख ने अपने पाले में कर लिया. अकेले अजित पवार ही बचे आखिरकार उन्होंने भी उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया.

बीजेपी से एक बड़ी गलती चुनाव के दौरान हो हुई. ईडी ने शरद पवार के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया था. लेकिन बीजेपी का यह दांव भारी पड़ा. 80 वर्ष के करीब पहुंच चुके पवार ने कड़ी मेहनत करते हुए लगभग 100 सभाएं कीं. बारिश में भीगते हुए भाषण देने की उनकी एक तस्वीर भी उस वक्त खूब वायरल हुई थी.

कांग्रेस से गठबंधन में जब एनसीपी को 125 सीटें मिलीं तो कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से कह रहे थे कि वह 100 पर ही मान जाते. इस पर सोनिया गांधी ने कहा था कि वे महाराष्ट्र में शरद पवार के कद का नेता लाकर खड़ा कर दें तो उनकी बात मान लेंगी. चुनावी नतीजों में एनसीपी को 54 सीट मिलीं और कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर बीजेपी ने एनसीपी के साथ पंगा न लिया होता तो शरद पवार उसे समर्थन दे सकते थे. लेकिन अब वह गठबंधन की धुरी के रूप में सामने आए हैं और बीजेपी को करारी मात दी है.

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