उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंकों के चुनावों में समाजवादी पार्टी का अब तक वर्चस्व रहा, लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी ने सपा के वर्चस्व को समाप्त कर दिया. करीब तीन दशक तक सपा ने अपना वर्चस्व इन चुनावों में बनाए रखा था. इस बार 323 शाखाओं में बीजेपी ने 293 पर जीत दर्ज की.

विपक्ष को ग्रामीण बैंक की सिर्फ 19 सीटें मिली हैं. 11 सीटों पर चुनाव नहीं हो पाए. 1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में सपा का एकाधिकार रहा है. मायावती सरकार के दौर में भी सपा ही बाजी मारती रही.

प्रदेशभर में सहकारी ग्रामीण विकास बैंक की 323 शाखाएं हैं. प्रत्येक शाखा से एक-एक प्रतिनिधि चुना जाता है. यह निर्वाचित प्रतिनिधि सूबे में अब 14 डायरेक्टर का चुनाव करेंगे, जिसमें से एक सभापति और उपसभापति चुना जाएगा. जीते हुए शाखा प्रतिनिधि बैंक की प्रबंध कमेटी सदस्यों का निर्वाचन 22 और 23 सितंबर को करेंगे.

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ग्रामीण विकास बैन के सभापति रहे हैं. शिवपाल यूपी सहकारिकता के स्वयंभू भी माने जाते थे. वे अपनी और अपनी पति की सीट बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनके समर्थक चुनाव में मात खा गए.

कांग्रेस अमेठी के जगदीशपुर में ही जीत दर्ज कर पायी. विपक्षी दलों द्वारा जो अन्य प्रतिष्ठित सीटें जीती गयी उनमें वाराणसी, बलिया, गाजीपुर और इटावा शामिल हैं. वहीं शिवपाल यादव ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने नियमों में बदलाव किया जिससे उन्हें चुनाव लड़ने में अयोग्य घोषित कर दिया.

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