लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भले ही बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया हो, पर अपने वादों को निभा रही हैं. साथ ही जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम बदले हैं उससे दोनों के फिर एक साथ आने की संभावनाएं बन गयी हैं.

उपचुनाव में बसपा को करारी हार मिली. जिससे मायावती को भी अहसास हो गया कि उनका सपा के साथ गठबंधन फायदेमंद हो सकता है. यही वजह हो सकती है कि उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कां’ड में दर्ज मामले को वापस लेने का फैसला किया. उनके ज़ेहन में मिशन 2022 होगा.

हालांकि अभी ये स्पस्ट नहीं है कि गेस्ट हाउस मामले में सभी दोषियों के मुकदमें वापस होंगे या सिर्फ मुलायम सिंह पर ही महरबानी हुई है. गेस्ट हाउस कां’ड करीब 24 साल पहले हुआ था. जिसके बाद पहली बार सपा-बसपा 2019 लोकसभा चुनाव में एक साथ आए थे. हालांकि परिणाम से नाखुश होकर बसपा सुप्रीमों मायावती ने 4 जून को प्रेस कांफ्रेंस कर गठबंधन तो’ड़ने की घोषणा करदी थी.

वहीं अब अचानक बसपा सुप्रीमों ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस मामले में मुकदमा वापस लेने के लिए शपथपत्र दिया, जिसके अब राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. उपचुनाव में बसपा को करारी हार मिली. पार्टी एक भी सीट निकालने में सफल नहीं हो पायी. यहां तक कि अपनी परम्परागत सीट जलालपुर भी नहीं बचा सकी.

जबकि गंगोह, मानिकपुर और घोसी ऐसी विधानसभा सीटें रहीं जहां सपा-बसपा के कुल वोट भाजपा से कहीं ज्यादा अधिक हैं. ये आंकड़े दोनों को फिर से साथ आने के लिए मजबूर कर सकते हैं. यानि अगर इन तीनों सीटों पर सपा-बसपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरते तो वह चुनाव जीत सकते थे.

जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें सपा और बसपा के पास एक-एक सीट थीं. अगर गठबंधन बरकरार होता तो दोनों पार्टी भाजपा से तीन सीटें छीन सकती थीं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here