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सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अपने रिटायर होने से पहले कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुना रहे हैं. अयोध्या विवाद का निबटारा करने के बाद आज उन्होंने शीर्ष अदालत से जुड़े एक मामले में ऐतिहासिक फैसला दे दिया है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सूचना के अधिकार के तहत सुप्रीमकोर्ट को लाए जाने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुना दिया. पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कहा कि सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सर्वजनिक दफ्तर है लिहाजा ये सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आएगा.

पीठ में सीजेआई समेत जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया जिसमें सुप्रीमकोर्ट के महासचिव ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 में आए फैसले को चुनौती दी थी.

इस मामले को लेकर सुनवाई के दौरान को’र्ट ने कहा कि सीजेआई एक ऐसा पद है जो पब्लिक अथॉरिटी के अंदर आता है. राइट टू इनफार्मेशन और टाइट टू प्राइवेसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

पीठ ने आगाह किया कि सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल निगरानी रखने के रूप में नहीं किया जा सकता है और पारदर्शिता के मुद्दे पर विचार करते समय न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ध्यान में रखना चाहिए.

बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं. इसे पहले उन्हें कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले देने थे. इनमें से दो बड़े मामलों में फैसला आ चुका है. अब राफेल से जुड़े एक मामले में फैसला आना बाकी है.

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