पश्चिम बंगाल का जिला पुरुलिया हमेशा से ही सुर्खियों में बना रहता है इस जिले में एक स्टेशन है बेगुनकोदार और ये स्टेशन 42 सालों तक बंद पड़ा रहा और वो भी एक लड़की की वजह से. लेकिन जब आप इस स्टेशन के बंद होने की वजहों के बारे में जानेंगे तो आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. कहते हैं कि इस स्टेशन पर एक लड़की का भूत रहता है शाम होते ही यहां सन्नाटा होने लगता है और गांव वाले भी इस तरफ आने से बचते हैं.

बेगुनकोदार रेलवे स्टेशन की शुरुआत सन 1960 में हुई थी. लेकिन साल साल के बाद ही इसे बंद करना पड़ गया था. साल 2007 में गांववालों ने तत्कालीन रेलवे मंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखी और स्टेशन को खोलने की अपील की. इसके बाद इस स्टेशन को खोला गया. स्टेशन तो खुल गया लेकिन आज भी इस स्टेशन को भूतिया माना जाता है. स्टेशन के आस-पास जो बिल्डिंग्स हैं वो पूरी तरह से सुनसान पड़ी हुई हैं.

स्टेशन पर कोई प्लेटफार्म नहीं है और बस 12 बाइ 10 फीट का टिकट काउडर एक कोने में बना है. बेगुनकोदार, कोलकाता से 260 किलोमीटर दूर है कहा जाता है कि इस स्टेशन को खुलवाने में संथाल जनजाति की रानी लाचन कुमारी का अहम योगदान रहा है.

लाचन कुमारी ने स्टेशन के लिए एक हड़ा अनुदान रेलवे को दिया था. इस स्टेशन को खुलवाने का मकसद उनके समुदाय के लोगों की जिंदगी को बेहतर करना था लेकिन स्टेशन खुलने के कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक रहा लेकिन बाद में कहते हैं कि यहां अजीबोगरीब घटनाएं होने लगी.

साल 1967 में बेगुनकोदार के एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर एक महिला का भूत देखने का दावा किया इसके साथ ही ये भी अफवाह उड़ी कि उसकी मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी अगले दिन उस रेलवे कर्मचारी ने लोगों को इसके बारे में बतया लेकिन उन्होंने उसकी बातों को अनदेखा कर दिया.

लोगों का इस बारे में कहना है कि उन्होंने इस रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर एक लड़की को चलते हुए देखा है जो हमेशा सफेद साड़ी पहने रहती है इस स्टेशन के साथ इतनी कहानियां है कि इसे भूतिया स्टेशन कहा जाने लगा है. स्थानीय लोगों का इस बारे में कहना है कि जिस समय ये स्टेशन खुला उसी समय स्टेशन मास्टर को ट्रैक पर एक अजीब से महिला दिखाई दी थी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here