केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के लाख दावों के बावजूद देशभर में बेरोजगारी और उद्योगों के बंद होने का सिलसिला जारी है. ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि जुलाई माह में लोकसभा में पेश सरकार की रिपोर्ट कह रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में लगभग 6 लाख 80 हजार उद्योग बंद हुए हैं. इसमें से तकरीबन 10 प्रतिशत उद्योग अकेले उत्तर प्रदेश में बंद हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे देश में कंपनी एक्ट के तहत 18 लाख 94 हजार कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, उनमें से तकरीबन 36 प्रतिशत कंपनियां बंद हो गई हैं.
उत्तर प्रदेश में दो बड़े समिट का आयोजन योगी सरकार कर चुकी है. इस समिट को लेकर सरकार की ओर से ये दावे किए जा रहे थे कि अब प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश होगा और रोजगार के साधन बढ़ेंगे. मगर रिपोर्ट में मामला दावों के उलट दिखाई दे रहा है.
यूपी के सबसे बड़े उद्योग चमड़ा और कपड़ा उद्योग पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है. इसके अलावा प्लास्टिक, आईटी, कालीन, बुनकरी, जरदोजी उद्योग शामिल हैं. इनमें बड़े से लेकर लघु और सूक्ष्म उद्योग इकाइयां काम कर रही थी.
बात की जाए उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर की तो चमड़ा उत्पादन के मामले में इसकी पहचान दुनियाभर में थी मगर बीते एक साल से ज्यादा का समय हो गया है यहां की टेनरियां बंद चल रही हैं. पूरा चमड़ा उद्योग खत्म सा हो गया है. इस काम से जुड़े लाखों परिवार बेरोजगार हो गए हैं.
इस उद्योग के बंद होने से निर्यात पर भी असर पड़ा है. इसके अलावा होजरी उद्योग भी मंदी की चपेट में है. इतने उद्योग बंद हो जानें की वजह से बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है. जो कि 45 साल में सबसे ज्यादा है.