उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य के आगामी पंचायत चुनाव को लेकर नए स्तर से ऱणनीति बनाने की कोशिश में लगी हुई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो बच्चों की बाध्यता के साथ ही न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करने की कवायद चल रही है.

इसी क्रम में सरकार एक और बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. इसके तहत जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनावों को भी प्रधानी के चुनावों की तरह ही सीधे जनता से करवाने का मन बना लिया है.

अभी तक थी ये प्रक्रिया

इसके लिए केंद्रीय पंचायतीरज अधिनियम में संसोधन करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है. गौरतलब है कि इस प्रस्ताव को लेकर सरकार की मंशा है इन चुनावों में भी पारदर्शिता आए और ब्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे.

क्योंकि जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव द्वारा ही जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव होता है, ऐसे में सदस्यों की खरीद फरोख्त की शिकायतें आती रहती है. इन चुनावों में धन बल के साथ-साथ बहुबल का भी प्रयोग किया जाता है कई बारगी देखने में आता है कि कहीं- कहीं पर तो अप्रिय घटना भी सुनने को मिल जाती है.

मौजूदा व्यवस्था में ये प्रावधान है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुने हुए सदस्यों द्वारा चुने जाएंगे, इसलि अब केंद्र सरकार को इस 73 वें संविधान संसोधन में दूसरा संसोधन करना होगा.

उम्मीद है कि मानसून सत्र में केंद्र सरकार अगर संविधान संसोधन का प्रस्ताव पारित करवा लेती है तो फिर जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव को सीधे जनता से करवाया जा सकता है.

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