उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनाने के बाद ये एलान किया था कि वो अपरा’ध और भ्रष्टाचा’र के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे. कई मामलों में तेजी के साथ निर्णय लिए गए मगर कई मामले ऐसे थे जो लंबित थे. इनमें से एक मामला था शि’या और सु’न्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में चल रही अनियमितताओं का.

बीते ढ़ाई साल से शि’या सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और सु’न्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के खिलाफ वक्फ जमीनों में अनियमितताएं बरतने की शिकायतें की गई थी. लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी इन शिकायतों पर अखिरकार सरकार ने निर्णय ले ही लिया.

योगी सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि शि’या व सु’न्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति में अनियमिततओं की जांच सीबीआई से कराई जाएगी. इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र भी भेज दिया गया है.

उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय तथा सीबीआई के निदेशक को पत्र भेजकर जांच की सिफारिश की गई है.

शि’या और सु’न्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ कोतवाली प्रयागराज और लखनऊ के हजरतगंज थाने में अलग अलग मुकदमे दर्ज हैं. योगी सरकार ने जिन दो मुकदमों में सीबीआई जांच का फैसला किया है उनमें शि’या वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी आरो’पित हैं.

लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को कानपुर देहात निवासी तौसीफुल हसन की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में शि’या सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैय्यदैन रिजवी, निरीक्षक वकार रजा के अलावा कानपुर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी नामजद आरोपित हैं.

दूसरी ओर इस मुकदमे से पहले प्रयागराज कोतवाली में 26 अगस्त, 2016 को सुधांक मिश्रा की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी. आरोप था कि शि’या वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम द्वारा प्रयागराज के पुरानी जीटी रोड स्थित मकान नंबर 61/56 इमामबाड़ा गुलाम हैदर पर अवैध ढंग से दुकानों का निर्माण शुरू किया गया.

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