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पंजाब का एक खेतिहर मजदूर पंजाब से करीब 370 किलोमीटर साइकिल चला कर दो दिन में किसान आंदोलन के केंद्र बने दिल्ली के सिंधू बार्डर पर पहुंचा है.

सुखपाल बाजवा ने कहा कि मैं सिंधू बार्डर पर केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने पहुंचा हूं क्योंकि अगर इन्हें वापस नहीं लिया गया तो मैं अपनी जीवन जीने की आजीविका को खो दूंगा.

पंजाब के मोगा से वो साइकिल से आए और इतनी दूर से आने के बाद वो धरने में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि मैं बस या रेलगाड़ी से भी आ सकता है था लेकिन ऐसे में मेरे परिवार को भूखे रहना पड़ता.

उन्होंने कहा कि जब मेरे पास वाहन नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं. मैं खेतों में काम कर अपने परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाता हूं.

इसलिए मैंने ट्रेन या बस से आने के बजाय साइकिल से आना उचित समझा और इन पैसों को अपने परिवार के भोजन पर खर्च करना उचित समझा.

बाजवा ने कहा कि हालांकि मेरे लिए ये सफर मुश्किल था क्योंकि पहली बार मैंने मोगा स्थित अपने गांव से अकेले 370 किलोमीटर की दूरी तय की थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सिंधू सीमा पर पहुंचने में उन्हें दो दिन का समय लगा.

जबकि अगर किसी वाहन से आता तो मात्र 6 घंटे में ही इस दूरी को तय कर लेता. बाजवा ने बताया कि प्रर्दशन स्थल पर आते समय 18 दिसंबर की रात उनकी मोटरसाईकिल का पहिया पंचर हो गया था जिस कारण उन्हें यहां पहुंचने में देरी हुई.

कहा कि मैं बिस्तर और कुछ जरुरी चीजें लेकर अपने घर से निकला था. और आखिर में मैं 19 दिसंबर को यहां पहुंचा. ये कानून मेरी रोजी-रोटी छीनने के लिए है और मैं परिवार में कमाने वाला एकमात्र सदस्य हूं. मैं यहां से जबतक नहीं जाउंगा जब तक सरकार की ओर से इन कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता.

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