राजनीति की दुनिया की बड़ी मशहूर कहावत है कि यहां न तो कोई परमानेंट दोस्त होता है और न ही परमानेंट दुश्मन. कोई कभी भी किसी से भी हाथ मिला सकता है. यहां एक ही उसूल है कि कोई उसूल नहीं है. किस दल में, किस गठबंधन में कब किसका दम घुटने लगे कोई नहीं जानता.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के मुखिया जीतनराम मांझी के हाल में दिए गए कई बयानों को देखकर राजनीतिक पंडित यहां कुछ सयिसी उलटफेर का अनुमान लगाने में जुट गए हैं. मांझी के बयान और राजद-कांग्रेस के रूख को देखकर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही मांझी कुछ बड़ा खेल कर सकते हैं.
जीतनराम मांझी ने एनडीए घटक दल के नेताओं से अकेले में मुलाकात कर नई बहस को जन्म दे दिया है. इसके अलावा लालू यादव की शादी की सालगिरह पर उमड़ा प्रेम, कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर की गई टिप्पणी और पप्पू यादव की गिरफ्तारी का खुला विरोध ये बताने के लिए काफी है कि मांझी और एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
मंगलवार को लालू यादव की शादी की 48वीं सालगिरह पर मांझी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा था कि आप हमेशा स्वस्थ और खुशहाल रहकर यूंही जनता की सेवा करते रहें, यही हमारी कामना है.
वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर उन्होंने कहा था कि अगर टीके के प्रमाणपत्र पर पीएम की तस्वीर हो सकती है तो मृत्यु प्रमाणपत्र पर भी होनी चाहिए.
मांझी ने पप्पू यादव की गिरफ्तारी का भी खुला विरोध कर नितीश सरकार को घेरा था. मांझी के इन बयानों पर राजद और कांग्रेस ने नरम रूख दिखाते हुए उन्हें वापस आने का ऑफर दे डाला.
राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा था कि एनडीए में मांझी को तवज्जो नहीं मिल रहा है, वरिष्ठ नेता होने के बाद भी किसी फैसले में उनकी राय नहीं ली जा रही है. उन्होंने कहा था कि राजनीति में संभावनाओं के द्वार हमेशा खुले रहते हैं.
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि जीतनराम मांझी आज भले ही एनडीए में हों मगर वो पुराने कांग्रेसी रहे हैं. वो कांग्रेस में मंत्री भी थे. आज एनडीए में वो असहज महसूस कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि एनडीए से उनका मोह भंग हो चुका है और आने वाले समय में वो कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. अगर वो कांग्रेस में आते हैं तो उनका स्वागत है.