कहते हैं मंजिले उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता है हौसलों से उड़ान होती है. इन पंक्तियों को सही साबित कर दिखाया है बलिया की बहू नमिता शरण ने, जिन्होंने विपरीत परिस्थतियों में भी जबर्दस्त कामयाबी हासिल कर जिले और परिवार का नाम रोशन किया है. उन्होंने पीसीएस परीक्षा में 18 वीं रैंक अर्जित की है.
सबसे बड़ी बात ये है कि ये सब उन्होंने शादी के बाद कर दिखाया है इस दौरान उन्होंने तमाम घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सफलता पाई है, जहां एक ओर शादी के बाद महिलाएं घर के कामों में व्यस्त होकर अपने सपनों को भूल जाती हैं ऐसी महिलाओं के लिए नमिता शरण ने आदर्श स्थापित किया है.
मूल रुप से गोरखपुर की रहने वाली नमिता की शादी साल 2014 में बलिया के शिशिर कुमार सिन्हा के साथ हुई. ससुराल पक्ष में उन्हें सास-ससुर और पति का भरपूर समर्थन मिला, साल 2016 में उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरु की, जज्बे के साथ की गई पढ़ाई ने फौरन रंग दिखाया और साल 2017 में ही उन्होंने पीसीएस की परीक्षा को पास कर लिया और उनकी तैनाती जिला खाद्य विपणन अधिकारी के रुप में हो गई.
उनके सपनों की उड़ान यहीं पर नहीं रुकी. साल 2018 में एक बार फिर से पीसीएस की परीक्षा दी और इस बार उनको 18 वीं रैंक हासिल हुई. अब वो डीएसपी के पद पर चयनित हो गई है, उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता, ससुराल पक्ष और पति शिशिर कुमार सिन्हा को दिया इसके अलावा नमिता के मुताबिक उनकी इस सफलता में उनकी 4 साल की बेटी परी का भी हाथ है.