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मलिल्का-ए-तरन्नुम के नाम से मशहूर नूरजहां ने अपनी गायकी और एक्टिंग से भारत और पाकिस्तान के लोगों का जिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. नूर जहां को दक्षिण एशिया का सबसे प्रभावशाली सिंगर की श्रेणी में रखा जाता था. हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत के साथ-साथ दूसरी विभाओं पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी.

यूं तो भारत में रहते हुए उन्होंने कई फिल्में की थी. लेकिन साल 1947 के बंटवारे के वक्त अपने पति शौकत हुसैन रिजवी के साथ पाकिस्तान चली गई थी. बंटवारे के बाद नूरजहां साल 1983 में पहली और आखिरी बार अपनी बेटियों के साथ भारत आई थी.

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नूरजहां जब भारत आई थी, तब दूरदर्शन मुंबई ने उनके साक्षात्कार को रिकार्ड किया था जिसमें वो दिलीप कुमार से बातचीत करते हुए नजर आई थी. उनके इस साक्षात्कार का हाल ही में प्रसार भारती अभिलेखागार की ओर से संपादित अंश जारी किया गया था.

दिलीप कुमार से बातचीत के दौरान वो बंटवारे के दिनों को याद करते हुए भावुक हो गई थी. नूरजहां ने इस दौरान कहा था उस वक्त कैसा नफ्सा-नफ्सी का आलम था, बसे हुए घर को तो कोई छोड़कर नहीं जाना चाहता था लेकिन मेरे मियां हए तो मैं भी चली गई. अब यहां मुझे आने की दावत मिली तो मैंने कबूल की और मैं आ गई. लेकिन इस घड़ी का इंतजार मैंने 35 सालों तक किया है.

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