भारतीय अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम ने रविवार को इतिहास रच दिया. शेफाली वर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम आईसीसी अंडर 19 विश्वकप की पहली चैंपियन बनी. इस मैच में टीम इंडिया की जांबाज लड़कियों ने इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम को रौंद दिया.
मैच के पहले एक परिवार वहां से करीब 8 हजार किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के उन्नाव में भी तैयारी कर रहा था. अर्चना देवी एक गेंदबाजी ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने कई प्रतियोगिताओं में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया. भारत को विश्वचैंपियनशिप में मदद की.
आज हम आपको उनके संघर्ष के बारे में बात करेंगे. इस जीत के बाद अर्चना के घर और गांव में काफी उत्साह का माहौल है. मां के काफी तपस्या और समाज की आलोचना का सामना करने के बाद अर्चना देवी एक सफल क्रिकेटर बनी. उनकी पति की कैंसर से मौत हो गई.
और उनके बेटे की भी सांप के काटने से मौत हो गई. इसके बाद सावित्री के सगे संबंधियों के व्यवहार को लेकर लोग उन्हें डायन कहने लगे.अर्चना के परिवार ने बाद में सावित्री पर अपनी बेटी को गलत रास्ते पर भेजने का आरोप लगाया. सावित्री ने अपनी बेटी अर्चना का दाखिला गंज मुरादाबाद के गल्स बोर्डिंग स्कूल में कराया.
कुछ पड़ोसियों ने कानाफूसी की, कि अर्चना को एक दलाल को बेच दिया गया है. सावित्री ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी बेटी को गलत धंधे में बेच दिया गया था और उसका पति ने उसके मुंह पर भला बुरा कहा था. सावित्री की बेटी अर्चना महिला अंडर 19 टी-20 विश्वकप फाइनल खेल रही थी.
उसके घर पर इतने लोग खेल देखने आते थे कि सावित्री के पास अपने मेहमानों को देने के लिए कंबल नहीं था. जिन पड़ोसियों को सावित्री के घर का पानी तक पीना अच्छा नहीं लगता था, वे अब मदद के लिए आ रहे हैं. अर्चना के पिता शिवराम की 2008 में कैंसर से मौत हो गई.
उन्होंने सावित्री को कई कर्ज और तीन छोटे बच्चों की देखभाल के लिए छोड़ दिया. सावित्री के छोटे बेटे बुधी सिंह की 2017 में सांप के काटने से मौत हो गई थी. बुधी की मौत के बाद पड़ोसी और रिश्तेदार सावित्री के प्रति बहुत दयालु नहीं थे.
अर्चना के बड़े भाई रोहित ने बताया कि गांव वाले उसकी मां को डायन कहते थे. उन्होंने कहा कि उसने अपने पति को खा लिया, फिर उसके बेटे को और अगर उसके बेटे ने उसे देखा होता, तो वो अपना रास्ता बदल लेता. उसके घर को डायन का घर चुडैल का घर कहा जाता था.
रोहित ने बताया कि मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान उनकी मां को बच्चों की देखभाल के लिए काफी परेशानी से गुजरना पड़ा था. रोहित ने कहा कि हर साल बाढ़ आती है और गांव में उनके घर के आसपास की काफी जमीन बहा ले जाती है. आधा समय ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गंगा नदी में बाढ़ आ रही थी. वे जीवित रहने के लिए अपनी एक गाय और भैंस के दूध पर निर्भर रहते थे. रोहित की मां वास्तव में उनके लिए महत्वपूर्ण थी.