कई पेड़-पौधे अब दुर्लभ होते जा रहे हैं. पहले जो हमें आसानी से हर जगह दिख जाते थे वे अब कहीं-कहीं पर ही नजर आते हैं. ऐसा ही पेड़ है अर्जुन का. अर्जुन एक औषधीय पेड़ है. इसे गार्जियन ऑफ़ हार्ट भी कहते हैं. यह और भी कई नामों से जाना जाता है. जैसे घवल, नदीसर्ज और ककुभ आदि. यह हिमालय की तराई, शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे व बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में ज्यादातर पाया जाता है.

अर्जुन की छाल एक बार उतार लेने पर यह दोबारा भी आया जाती है. लेकिन इसमें कम से कम 2 वर्षा ऋतु का समय लग जाता है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका फल दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. जबकि छाल सर्दी, खांसी, काफ, पित और मोटापा जैसी बीमारियों में कारगर साबित होती है.

अर्जुन के पेड़ में फूल मार्च में आने शुरू हो जाते हैं. इस फूल को फल बनने में करीब 4 महीने लग जाते हैं. जुलाई महीने के आसपास इस पर छोटे-छोटे फल दिखने लग जाते हैं. पूरी तरह से फलों के तैयार होने में तीन महीने लग जाते हैं. यानि नवंबर तक फल बड़े हो पाते हैं. पेड़ आकार में काफी बड़ा होता है. इसलिए इसे खुले स्थान पर ही लगाया जाता है. यह नमी वाले भागों में ही विकसित होते हैं.

उगाना चाहते हैं पेड़ तो अपनाएं ये प्रक्रिया 

अर्जुन के फल से बीज निकालकर उसे धूप में सुखाकर 6 से 12 महीने तक रख दें. फिर यह बीज बुवाई के लिए तैयार हो जाता है. इस बीज की बुवाई से पहले इसे 24 घंटे पानी में भिगो कर रखें ताकि बीज की बुवाई के समय में अंकुरित हो जाए.

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