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पूरे देश में दशहरे के त्यौहार का मनाने के लिए हर्षोल्लास है. लोग पिछले काफ दिनों से तैयारियों में जुटे हुए थे. लेकिन एक ऐसा स्थान भी है जहां पर रावण के पुतले दहन को अशुभ माना जाता है इसके बाद भी रावण का पुतला दहन किया जाता है.

रावण की ससुराल कहे जाने वाले मेरठ में कुछ लोग रावण के पुतले को दहन करना अशुभ मानते हैं. मान्यताओं के अनुसार जिस मंदिर में कभी मेरठ की बेटी मानी जाने वाली मयदान की पुत्री मंदोदरी पूजा करने के लिए आया करती थी उस मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण तो मेरठ का दामाद माना जाता है.

ऐसे में हम लोग प्रकांड विद्वान का पुतला दहन कैसे देख सकते हैं.पंडित हरीश चंद्र जोशी का मानना है कि लक्ष्मण ने भी रावण से ज्ञान लिया था इसलिए वो रावण को गुरु की संज्ञा देते हैं. इसके बावजूद भी मेरठ के भैंसाली ग्राउंड में रावण कुंभकरण और मेघनाद का पुतला दहन करने के लिए बिल्कुल तैयार है.

एक तरह प्रकांड पंडित लोग रावण को गुरु और दामाद की संज्ञा देते हैं तो दूसरी तरफ मेरठ में उस जगह पर रावण मेघनाद कुंभकरण का पुतला दहन किया जाता है, कहा जाता है कि कभी यहां मंदोदरी स्नान के लिए आया करती थी, मान्यता तो ये भी है कि इसी स्थान पर रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात हुई थी.

इस मैदान के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर रावण का पुतला जब खड़ा किया जाता है तो गड्ढे में दो बू्ंद मदिरा जरुर डाली जाती है कहा जाता है कि अगर दो बूंद मदिरा गड्ढे में नहीं ड़ाली जाती है तो ऐसी स्थिति में पुतला बार-बार गिर जाता है.

इस बार कोरोना का भी होगा संहार

कमेटी की ओर से कोरोना को लेकर भी इस बार तैयारी की गई है. कहा जा रहा है कि रावण जिस रथ पर सवार होकर आएगा उस रथ पर कोरोना लिखा होगा. रामलीला कमेटी के सदस्यों का कहना है कि इस बार रावण दहन के साथ-साथ कोरोना का भी संहार होगा.

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