जब बात चमगादड़ की होती है तो दिमाग में उल्टा लटका हुआ छोटा जीव आता है. आपने जब भी देखा होगा तो या वो उड़ रहा होगा या फिर उल्टा लटका हुआ होगा. क्या आपके मन में कभी सवाल आया कि आखिर ये उलटे क्यों लटके रहते हैं. ये सोते भी उलटे ही हैं. क्या इन्हें उल्टा लटकने में कोई दिक्कत नहीं होती, क्योंकि अगर हम कुछ देर भी उलटे सो जाए तो दिक्कत हो जाती है.

दरअसल, चमगादड़ की मांसपेशियां उल्टा काम करती है. चमगादड़ के पीठ और पंजे मांसपेशियों के विपरीत काम करते हैं. उनके घुटने पीछे की तरह होते हैं. साथ ही जब वे आराम करते हैं उनकी ख़ास तरह की मांसपेशियां पैर की उंगलियों और पंजों को पकड़ लेती हैं. इस वजह से जब भी लटकते हैं तो उन्हें कोई इंजरी नहीं लगानी पड़ती और वे उल्टा लटकते वक्त भी आराम में ही रहते हैं. गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से वो लटकते रहते हैं और उन्हें कोई दिक्कत भी नहीं होती.

वहीं जब एक इंसान उल्टा लटकता है तो उसका खून सिर में रुक जाता है. इस वजह से कुछ देर उल्टा होने में हर किसी को दिक्कत होने लगती है. लेकिन चमगादड़ के साथ ऐसा है कि उसका आकार काफी छोटा होता है और खून की मात्रा भी कम होने की वजह से उनकी दिल उल्टा होने पर भी ब्लड सर्कुलेशन को बनाए रखने में मदद करता है.

चमगादड़ उल्टा लटके रहने से आसानी से उड़ान भर सकते हैं. दरअसल, उनके पंख भरपूर उठान नहीं देते और उनके पिछले पैर इतने छोटे और अविकसित होते हैं कि वो दौड़ कर गति नहीं पकड़ पाते. जिस वजह से वो अन्य पक्षियों की तरह जमीन से उड़ान नहीं भर पाते.

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