बिहार की कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होना है. दो नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आएंगे. विधानसभा उपचुनाव का परिदृश्य कुछ बदला हुआ है. बिहार महागठबंधन में टूट हो गई है, राजद और कांग्रेस दोनों दलों ने अलग-अलग प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.

बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस और राजद दोनों दलों की ओर से स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी गई. राजद की सूची में कई यादव नेताओं के नाम हैं मगर कांग्रेस की ओर से जारी स्टार प्रचारकों की सूची में एक भी यादव नेता का नाम नहीं है जबकि कांग्रेस के बिहार युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन यादव और चंदन यादव जैसे दिग्गज यादव नेता मौजूद हैं.

ललन यादव बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष रह चुके हैं जिन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस की 20 सदस्यीय सूची में पांच भूमिहार, पांच मुस्लिम, तीन ब्राह्मण, तीन दलित, दो राजपूत और एक-एक कायस्थ व ओबीसी नेताओं के नाम शामिल हैं.

 

राजनीतिक जानकारों की मानें तो बिहार की राजनीति में यादव फैक्टर को नजरअंदाज करना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है. तारापुर विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में यादव मतदाता हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जब कांग्रेस राजद से अलग होकर चुनाव लड़ रही है तो उसे यादव वोटरों को साधने के लिए यादव नेताओं को भी स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करना चाहिए था. ऐसा ना करना कांग्रेस के लिए बड़ी रणनीतिक चूक साबित हो सकती है.

बता दें कि तारापुर विधानसभा सीट से कुछ दूरी पर सुल्तानगंज विधानसभा सीट है जहां से विधानसभा चुनाव में ललन यादव को महागठबंधन का प्रत्याशी बनाया गया था. उन्होंने एनडीए प्रत्याशी ललित नारायण मंडल को कड़ी टक्कर दी मगर अंत में ललन यादव को बहुत कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

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