जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदानों की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान, बिहार के वर्तमान सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ तल्ख होते हुए जा रहे हैं. चिराग ने सीएम नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश सभी बातों को 15 साल का बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत है पिछले पांच साल में कोई उपलब्धि नहीं हैं.
उनके मंत्री और विधायक पिछले 5 साल का हिसाब दें. चिराग ने कहा कि नीतीश और बिहार की बेबसी से निकलने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे, इसके साथ ही उन्होंने #असंभव नीतीश की शुरुआत की है.
चिराग ने एक के बाद एक ट्वीट किए और कई सवाल पूछे बिहार की जनता को संदेश भी दिए. लोजपा अध्यक्ष ने इस दौरान दावा किया कि बिहार में अफसरों का पिछले पांच साल से राज रहा है. नीतीश कुमार ने सात निश्चय का वादा किया था लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ. एक ट्वीट में उन्होंने लिखा कि आप सभी को स्नेह, आशीर्वाद और साथ से बिहार में जेडीयू से ज्यादा सीटें लोजपा जीतेगी.
अब इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि चो चिराग चंद महीने पहले सीएम नीतीश के साथ थे और बीते लोकसभा चुनाव में खुद की जमुई लोकसभा सीट पर अपने लिए प्रचार करवाया था आखिर वे अचानक कैसे बदल गए. राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है कि उसके अनुसार बीजेपी, जेडीयू और लोजपा के नेता प्रशांत किशोर की भूमिका से कोई इंकार नहीं कर रहे हैं.
राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कभी नीतीश कुमार की आंखों का तारा रहें प्रशांत किशोर की सलाह पर काम कर रहे हैं. दरअसल प्रशांत किशोर का जदयू से नाता खत्म हो चुका है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का जोड़ने की पहल से ही चिराग के कान खड़े हो गए थे.
इसके बाद प्रशांत किशोर की सलाह पर ही उन्होंने बिहार की 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया था. इसमें संदेश दिया था कि लोजपा बिहार में एनडीए से बाहर है उसकी चुनावों मे एनडीए के साथ कोई भूमिका नहीं है. रिपोर्टस के अनुसार चिराग की इस पहल के पीथ नीतीश के नेतृ्त्व वाली जेडीयू की जड़ को कमजोर करना और लोजपा को मजबूत करना है, इसके साथ ही उनका प्रयास ये भी है कि बीजेपी के साथ लोजपा की सरकार बनें.