धीरे-धीरे काले चावल की मांग काफी बढ़ रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री ने वाराणसी में कृषि के क्षेत्र पर चर्चा करते हुए काले चावल का जिक्र किया. यह चावल वही है जिसका इस्तेमाल हम सभी करते हैं. बस विशेष तत्वों की वजह से इसका रंग काला होता है. स्वास्थ्य के लिए यह काफी लाभदायक साबित हो रहा है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसमें एंटीओक्सिडेंट, विटामिन ई, फाइबर और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है. यही वजह है कि पिछले कुछ समय में इसकी मांग बढ़ी है. हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल, अर्थराइटिस, एलर्जी से जूझ रहे लोगों के लिए यह किसी दवा की तरह काम करता है.

उत्तर प्रदेश का चंदौली काला चावल की पहचान बना है. यहां के कई किसान अपने खेतों में इसे उगा रहे हैं. करीब तीन साल पहले यहां काले चावल को प्रयोग के तौर पर उगाया गया था. लेकिन देखते ही देखते इस चावल की मांग विदेशों तक पहुंच गयी.

कीमत करीब तीन सौ रूपये प्रति किलो

चंदौली के अलावा यूपी के मिर्जापुर में भी किसान इसकी खेती कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में भी इस चावल की अच्छी पैदावार होती है. काले धान की खेती में 8 से 10 कुंतल प्रति बीघे की पैदावार भी संभव है. काला चावल 285 रूपये किलो तक बिक जाता है. धान की अन्य किस्मों की तरह यह भी 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाता है.

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