भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय ने भिक्षा मांगकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. अब 104 साल बाद ‘महामना’ को बतौर कोर्स के रूप में पढ़ाया जाएगा. इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. अगर तैयारी हो गयी तो नए सत्र से दो वर्षीय पीजी कोर्स शुरू हो जाएंगे.
डीन प्रोफ़ेसर कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि जिस विश्वविद्यालय को महामना ने शिक्षा का मंदिर बनाया उनके जीवन, योगदान और बलिदान को नयी पीढी इस कोर्स के माध्यम से करीब से जान सकेगी. देशभर में महामना पर शुरू होने वाला ये पहला कोर्स होगा.
इससे पहले लोग किताबों में ही महामना को पढ़ते आए हैं. नए कोर्स की रूपरेखा तैयार करने के लिए संकाय स्तर पर कमेटी बनाई गयी है. कोर्स की रूपरेखा तैयार होने के बाद कमेटी इसे संकाय पब्लिक प्लानिंग कमेटी के समक्ष रखेगी. इसके बाद विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल अध्यक्ष के बाद इसपर फाइनल मुहर लगाएगी.
त्याग-तपस्या के बारे में भी बताया जाएगा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में 6 नए कोर्स शुरू किए जाएंगे. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन और त्याग और तपस्या के अलावा 5 नए कोर्स के लिए अब संकाय की प्लानिंग कमेटी तैयारियों में जुट गयी है.