महत्वकांक्षा हमें उंचाइयों पर ले जाती है तो कभी-कभी ये भारी भी पड़ जाती है. एक युवती ने आईएएस बनने के लिए अच्छी खासी एचआर मैनेजर की नौकरी छोड़ दी थी लेकिन अब वह कूड़ा बीन रही है. जिसका कारण रहा है तनाव. दिमाग की बीमारी इतनी बढ़ गयी कि उसका सब कुछ खो गया.

गोरखपुर के तिवारीपुर थाने के पास जुलाई महीने में एक युवती कूड़ेदान के पास फेंके हुए सूखे चावल बीन कर खा रही थी. यह जानकारी किसी ने पुलिस को दे दी. जिसके बाद उसके पास दो सिपाही पहुंचते हैं. सिपाहियों को देख युवती फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगती है. वह टूटी-फूटी हिंदी भी बोल रही थी.

सिपाहियों ने यह जानकारी अधिकारी को दी. पुलिस वालों ने उसे मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन के हवाले कर दिया. जहां तीन महीने तक युवती का इलाज चला. कुछ सामान्य होने पर उसने अपने परिवार के बारे में बताया. बताया कि उसका नाम रजनी है और तेलंगाना की रहने वाली है.

युवती ने आगे बताया कि उसने साल 2000 में एमबीए की पढ़ाई फर्स्ट डिवीजन से पास की थी. आईएएस बनने का सपना था. दो बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी, लेकिन दोनों बार असफलता मिली. जिसके बाद धीरे-धीरे वह डिप्रेशन में जाने लगी. डिप्रेशन से बचने के लिए रजनी ने हैदराबाद में एक मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर मैनेजर की नौकरी शुरू की, लेकिन डिप्रेशन से निकल नहीं पायी. पिता के मुताबिक रजनी पिछले साल नवम्बर में घर से कहीं चली गयी थी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here